Psalms - Chapter 46
Holy Bible

2 (1-2) ईश्वर हमारा आश्रय और सामर्थ्य है। वह संकट में सदा हमारा सहचर है।
3) इसलिए हम नहीं डरते-चाहे पृथ्वी काँप उठे, चाहे पर्वत समुद्र के गर्त में डूब जायें,
4) चाहे सागर की प्रचण्ड लहरें फेन उगले और पर्वत उनकी टक्कर से हिल जायें
5) एक नदी की धाराएँ ईश्वर के नगर को सर्वोच्च ईश्वर के पवित्र निवासस्थान को आनन्द प्रदान करती हैं।
6) ईश्वर उस नगर में रहता है, वह कभी पराजित नहीं होगा। ईश्वर प्रातःकाल उसकी सहायता करेगा।
7) राष्ट्रों में खलबली मची हुई है, राज्य डग-मगाते हैं। प्रभु की वाणी सुन कर पृथ्वी पिघलती है
8) विश्वमण्डल का प्रभु हमारे साथ है, याकूब का ईश्वर हमारा गढ़ है।
9) आओ! प्रभु के महान कार्यों का मनन करो वह पृथ्वी पर अपूर्व चमत्कार दिखाता है।
10) वह पृथ्वी भर के युद्धों को शान्त करता वह धनुष को तोड़ता, भाले के टुकड़े-टुकड़े करता और युद्ध-रथों को अग्नि में भस्म कर देता है।
11) "शान्त हो और जान लो कि मैं ही ईश्वर हूँ, मैं राष्ट्रों और पृथ्वी पर विजयी हूँ"।
12) विश्वमण्डल का प्रभु हमारे साथ है, याकूब का ईश्वर हमारा गढ़ है।

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