Psalms - Chapter 14
Holy Bible

1) मूर्ख अपने मन में कहते हैं: "ईश्वर है ही नहीं"। उनका आचरण भ्रष्ट और घृणास्पद है। उन में कोई भी भलाई नहीं करता।
2) ईश्वर यह जानने के लिए स्वर्ग से मनुष्यों पर दृष्टि दौड़ाता है कि उन में कोई बुद्धिमान हो, जो ईश्वर की खोज में लगा रहता हो।
3) सब-के-सब भटक गये हैं, सब समान रूप से दुष्ट हैं। उन में कोई भी भलाई नहीं करता, नहीं, एक भी नहीं।
4) क्या वे कुकर्मी कुछ नहीं समझते? वे भोजन की तरह मेरी प्रजा का भक्षण करते हैं और ईश्वर का नाम नहीं लेते।
5) अब वे थरथर काँपने लगे हैं, क्योंकि ईश्वर धर्मियों का साथ देता है।
6) क्या तुम दरिद्र की योजनाओं को विफल करना चाहते हो, जब कि प्रभु उसका आश्रयदाता है?
7) कौन सियोन पर से इस्राएल का उद्धार करेगा? जब प्रभु अपनी प्रजा के निर्वासितों को लौटा लायेगा, तब याकूब उल्लसित होगा और इस्राएल आनन्द मनायेगा।

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