Daily Readings
Liturgical Year A, Cycle II
Friday of the First week of Advent
दैनिक पाठ:
पहला पाठ: इसायाह का ग्रन्थ 29:17-24
स्तोत्र: स्तोत्र ग्रन्थ 27:1, 4, 13-14
सुसमाचार : सन्त मत्ती 9:27-31
माता मरियम की माला विनती: दु:ख के पाँच भेद
Daily Readings
आगमन का पहला सप्ताह, शुक्रवार
पहला पाठ: इसायाह का ग्रन्थ 29:17-24
भंजन: स्तोत्र ग्रन्थ 27:1, 4, 13-14
सुसमाचार: सन्त मत्ती 9:27-31
First Reading
इसायाह का ग्रन्थ 29:17-24
“उस दिन अंधे देखने लगेंगे।”
प्रभु ईश्वर यह कहता है : थोड़े ही समय बाद लेबानोन फलवाटिका में बदल जायेगा और फलवाटिका जंगल बन जायेगी। उस दिन बहरे ग्रन्थ का पाठ सुनेंगे और अंधे देखने लगेंगे, क्योंकि उनको आँखों से धूँघलापन और अन्धकार दूर हो जायेगा। दीन-हीन प्रभु में आनन्द मनायेंगे और जो सब से अधिक दरिद्र हैं, वे इस्राएल के परमपावन ईश्वर की कृपा से उल्लसित हो उठेंगे; क्योंकि अत्याचारी नहीं रह जायेगा, घमण्डियों का अस्तित्व मिटेगा और उन कुकर्मियों का विनाश होगा, जो दूसरों पर अभियोग लगाते हैं, जो कचहरी के न्यायकर्त्ताओं को प्रलोभन देते और बेईमानी से धर्मियों को अधिकारों से वंचित करते हैं। इसलिए प्रभु, याकूब के वंश का ईश्वर, इब्राहीम का उद्धारकर्ता, यह कहता है : “अब से याकूब को निराशा नहीं होगी; उसका मुख कभी निस्तेज नहीं होगा; क्योंकि वह अपनी सन्तति के साथ अपने बीच मेरे कार्य देखेगा और मेरा नाम धन्य कहेगा।”' लोग याकूब के परमपावन प्रभु को धन्य कहेंगे और इस्राएल के ईश्वर पर श्रद्धा रखेंगे। भटकने वालों में सद्बुद्धि आयेगी और विद्रोही शिक्षा स्वीकार करेंगे।
प्रभु की वाणी।
Responsorial Psalm
स्तोत्र ग्रन्थ 27:1, 4, 13-14
अनुवाक्य : प्रभु मेरी ज्योति और मेरी मुक्ति है।
प्रभु मेरी ज्योति और मेरी मुक्ति है, तो मैं किस से डरूँ ! प्रभु मेरे जीवन की रक्षा करता है, तो मंं किस से भयभीत होऊँ !
अनुवाक्य : प्रभु मेरी ज्योति और मेरी मुक्ति है।
मैं प्रभु से यही प्रार्थना करता रहा कि मैं जीवन भर प्रभु के घर में निवास करूँ, और प्रभु की मधुर छत्रछाया में रह कर उसके मंदिर में मनन करूँ।
अनुवाक्य : प्रभु मेरी ज्योति और मेरी मुक्ति है।
मुझे विश्वास है कि मैं इस जीवन में प्रभु की भलाई को देख पाऊँगा। प्रभु पर भरोसा रखो, दृढ़ रहो और प्रभु पर भरोसा रखो।
अनुवाक्य : प्रभु मेरी ज्योति और मेरी मुक्ति है।
Gospel
सन्त मत्ती 9:27-31
येसु में विश्वास करने वाले दो अंधों को दृष्टि मिलती है।
येसु वहाँ से आगे बढ़े और दो अंधे यह पुकारते हुए उनके पीछे-पीछे चलने लगे, “दाऊद के पुत्र ! हम पर दया कीजिए। जब येसु घर पहुँचे, तो ये अंधे उनके पास आये। येसु ने उन से पूछा, “क्या तुम्हें विश्वास है कि मैं यह कर सकता हूँ ?' उन्होंने कहा, “जी हाँ, प्रभु''! तब येसु ने यह कह कर उनकी आँखों का स्पर्श किया, “जैसा तुमने विश्वास किया, वैसा ही हो जाये''। उनकी आँखें अच्छी हो गयीं और येसु ने उन्हें कड़ी चेतावनी दे कर कहा, “सावधान ! यह बात कोई न जानने पाये" परन्तु वे घर से निकलते ही उस पूरे इलाके में येसु का नाम फैलाने लगे।
प्रभु का सुसमाचार।