Daily Readings

Mass Readings for
09 - Nov- 2025
Sunday, November 9, 2025
Liturgical Year C, Cycle I
(Thirty‑second Sunday in Ordinary Time)

Dedication of the Basilica of Saint John Lateran in Rome - Feast

दैनिक पाठ:
पहला पाठ: एज़ेकिएल का ग्रन्थ 47:1-2, 8-9, 12
स्तोत्र: Psalm 46:2-3, 5-6, 8-9
दूसरा पाठ: कुरिन्थियों के नाम सन्त पौलुस का पहला पत्र 3:9-11, 16-17
सुसमाचार : सन्त योहन 2:13-22

माता मरियम की माला विनती: महिमा के पाँच भेद


लातेरन महामंदिर का प्रतिष्ठान – पर्व

पहला पाठ: एज़ेकिएल का ग्रन्थ 47:1-2, 8-9, 12
भंजन: स्तोत्र ग्रन्थ 46:2-3, 5-6, 8-9
दूसरा पाठ: कुरिन्थियों के नाम सन्त पौलुस का पहला पत्र 3:9-11, 16-17
सुसमाचार: सन्त योहन 2:13-22

First Reading
एज़ेकिएल का ग्रन्थ 47:1-2, 8-9, 12
"मैंने देखा कि मंदिर में से जलधारा निकल रही है। और जहाँ कहीं पहुँचती है जीवन प्रदान करती है।"

स्वर्गदूत मुझे मंदिर के द्वार पर वापस ले आया। वहाँ मैंने देखा कि मंदिर की देहली के नीचे से पूर्व की ओर जल निकल कर बह रहा है, क्योंकि मंदिर का मुख पूर्व की ओर था। जल वेदी के दक्षिण में मंदिर के दक्षिण पार्श्व के नीचे से बह रहा था। स्वर्गदूत मुझे उत्तरी फाटक से बाहर-बाहर घुमा कर पूर्व के बाह्य फाटक तक ले गया। वहाँ मैंने देखा कि जल दक्षिण पार्श्व से टपक रहा है। उसने हाथ में माप की डोरी ले कर पूर्व की ओर जाते हुए एक हजार हाथ की दूरी नापी। तब उसने मुझे जलधारा को पार करने को कहा पानी टखनों तक था। उसने फिर एक हजार हाथ नाप कर मुझ से जलधारा को पार करने को कहा - पानी घुटनों तक था। उसने फिर एक हजार हाथ नाप कर मुझ से जलधारा को पार करने को कहा। पानी कमर तक था। उसने फिर एक हजार हाथ की दूरी नापी अब मैं उस जलधारा को पार नहीं कर सकता था, पानी इतना बढ़ गया था कि तैर कर ही उसे पार करना संभव था। उसने मुझ से कहा, "मनुष्य के पुत्र ! क्या आपने देखा?" तब वह मुझे ले गया और बाद में उसने मुझे फिर जलधारा के किनारे पर पहुँचा दिया। वहाँ लौटने पर मुझे जलधारा के दोनों तटों पर बहुत-से पेड़ दिखाई पड़े। उसने मुझ से कहा, "यह जल पूर्व की ओर बह कर अराबा घाटी तक पहुँचता और समुद्र में गिरता है। यह उस समुद्र के खारे पानी को मीठा बना देता है। यह नदी जहाँ कहीं गुजरती है, वहाँ पृथ्वी पर विचरने वाले प्राणियों को जीवन प्रदान करती है। वहाँ बहुत-सी मछलियाँ पायी जायेंगी, क्योंकि यह धारा समुद्र का पानी मीठा कर देती है और जहाँ कहीं भी पहुँचती है, जीवन प्रदान करती है। नदी के दोनों तटों पर हर प्रकार के फलदार पेड़ उगेंगे उनके पत्ते नहीं मुरझायेंगे और उन पर कभी फलों की कमी नहीं होगी। वे हर महीने नये फल उत्पन्न करेंगे, क्योंकि उनका जल मंदिर से आता है। उनके फल भोजन और उनके पत्ते दवा के काम आयेंगे।"

प्रभु की वाणी।

Responsorial Psalm
स्तोत्र ग्रन्थ 46:2-3, 5-6, 8-9
अनुवाक्य : विश्वमंडल का प्रभु हमारे साथ है, याकूब का ईश्वर हमारा गढ़ है।

ईश्वर हमारा आश्रय और सामर्थ्य है। वह संकट में सदा हमारी सहायता करता है। इसलिए हम नहीं डरेंगे चाहे पृथ्वी काँप उठे, चाहे पर्वत समुद्र के गर्त में खिसक जायें।
अनुवाक्य : विश्वमंडल का प्रभु हमारे साथ है, याकूब का ईश्वर हमारा गढ़ है।

एक नदी ईश्वर के नगर का, सर्वोच्च ईश्वर के पवित्र निवासस्थान को आनन्दित कर देती है। ईश्वर उस नगर में रहता है, वह कभी नष्ट नहीं होगा, ईश्वर प्रातःकाल उसकी सहायता करता है।
अनुवाक्य : विश्वमंडल का प्रभु हमारे साथ है, याकूब का ईश्वर हमारा गढ़ है।

विश्वमंडल का प्रभु हमारे साथ है, याकूब का ईश्वर हमारा गढ़ है। आओ! प्रभु के अपूर्व कार्यों का मनन करो, वह पृथ्वी पर महान् चमत्कार दिखाता है।
अनुवाक्य : विश्वमंडल का प्रभु हमारे साथ है, याकूब का ईश्वर हमारा गढ़ है।

Second Reading
कुरिन्थियों के नाम सन्त पौलुस का पहला पत्र 3:9-11, 16-17
"आप लोग ईश्वर के मंदिर हैं।"

आप लोग ईश्वर के मंदिर हैं। मैंने ईश्वर की कृपा की सहायता से कुशल स्थापति की तरह नींव डाली है। इसके ऊपर कोई दूसरा भवन का निर्माण कर रहा है। हर एक सावधान रहे कि वह किस तरह इस पर निर्माण करता है। जो नींव डाल दी गयी है, उसे छोड़ कर कोई भी दूसरी नहीं डाल सकता, और वह नींव है - ईसा मसीह। क्या आप यह नहीं जानते कि आप ईश्वर के मंदिर हैं और ईश्वर का आत्मा आप में निवास करता है ? यदि कोई ईश्वर का मंदिर नष्ट करेगा, तो ईश्वर उसे नष्ट करेगा; क्योंकि ईश्वर का मंदिर पवित्र है और वह मंदिर आप लोग हैं।

प्रभु की वाणी।

Gospel
सन्त योहन 2:13-22
“येसु अपने शरीर के मंदिर के विषय में कह रहे थे।"

यहूदियों का पास्का पर्व निकट आने पर येसु येरुसालेम गये। उन्होंने मंदिर में बैल, भेड़ें और कबूतर बेचने वालों को तथा अपनी मेज़ों के सामने बैठे हुए सराफ़ों को देखा। उन्होंने रस्सियों का कोड़ा बना कर भेड़ों और बैलों सहित सब को मंदिर से बाहर निकाल दिया, सराफ़ों के सिक्के छितरा दिये, उनकी मेजें उलट दीं और कबूतर बेचने वालों से कहा, "यह सब यहाँ से हटा ले जाओ। मेरे पिता का घर बाज़ार मत बनाओ।" उनके शिष्यों को धर्मग्रंथ का यह कथन याद आया तेरे घर का उत्साह मुझे खा जायेगा। यहूदियों ने येसु से कहा, "आप हमें कौन-सा चमत्कार दिखा सकते हैं, जिससे हम यह जानें कि आप को ऐसा करने का अधिकार है?" येसु ने उन्हें उत्तर दिया, "इस मंदिर को ढा दो और मैं इसे तीन दिनों के अन्दर फिर खड़ा कर दूँगा।" इस पर यहूदियों ने कहा, "इस मंदिर के निर्माण में छियालीस वर्ष लगे, और आप इसे तीन दिनों के अन्दर खड़ा कर देंगे ?" येसु तो अपने शरीर के मंदिर के विषय में कह रहे थे। जब वह मृतकों में से जी उठे, तो उनके शिष्यों को याद आया कि उन्होंने यह कहा था; इसलिए उन्होंने धर्मग्रंथ और येसु के इस कथन पर विश्वास किया।

प्रभु का सुसमाचार।