Daily Readings

Mass Readings for
25 - Dec- 2025
Thursday, December 25, 2025
Liturgical Year A, Cycle II

Christmas - Solemnity - * Holy Day of Obligation *

दैनिक पाठ: at Dawn
पहला पाठ: इसायाह का ग्रन्थ 62:11-12
स्तोत्र: स्तोत्र ग्रन्थ 97:1, 6, 11-12
दूसरा पाठ: Titus 3:4-7
सुसमाचार : सन्त लूकस 2:15-20

दैनिक पाठ: during the day
पहला पाठ: इसायाह का ग्रन्थ 52:7-10
स्तोत्र: स्तोत्र ग्रन्थ 98:1, 2-3, 3-4, 5-6
दूसरा पाठ: इब्रानियों 1:1-6
सुसमाचार : सन्त योहन 1:1-18 or 1:1-5, 9-14

माता मरियम की माला विनती: ज्योति के पाँच भेद


25 दिसम्बर : ख्रीस्त जयन्ती - दिन का मिस्सा

पहला पाठ: नबी इसायस का ग्रंथ 52:7-10
भंजन: स्तोत्र 97:1-6
दूसरा पाठ: इब्रानियों के नाम पत्र 1:1-6
सुसमाचार: योहन के अनुसार पवित्र सुसमाचार 1:1-18

First Reading
नबी इसायस का ग्रंथ 52:7-10
"पृथ्वी के कोने-कोने में हमारे ईश्वर का मुक्ति - विधान प्रकट हुआ है।"

जो शांति घोषित करता है, सुसमाचार सुनाता है, कल्याण का संदेश ले आता और सियोन से कहता है, "तेरा ईश्वर राज्य करता है" - इस प्रकार शुभ संदेश सुनाने वाले के चरण पर्वतों पर कितने सुन्दर लगते हैं। येरुसालेम ! तेरे पहरेदार एक साथ ऊँचे स्वर से आनन्द के गीत गाते हैं। वे अपनी आँखों से देख रहे हैं कि प्रभु ईश्वर सियोन की ओर वापस आ रहा है। येरुसालेम के खंडहर आनन्द-विभोर हो कर जयकार करें। प्रभु ईश्वर ने अपनी प्रजा को सान्त्वना दी है और येरुसालेम का उद्धार किया है। प्रभु ईश्वर ने समस्त राष्ट्रों के देखते-देखते अपना पावन सामर्थ्य प्रदर्शित किया है। पृथ्वी के कोने-कोने में हमारे ईश्वर का मुक्ति-विधान प्रकट हुआ है।

प्रभु की वाणी।

Responsorial Psalm
स्तोत्र 97:1-6
अनुवाक्य : पृथ्वी के कोने-कोने में हमारे ईश्वर का मुक्ति - विधान प्रकट हुआ है।

प्रभु के आदर में नया गीत गाओ, क्योंकि उसने अपूर्व कार्य किये हैं। उसके दाहिने हाथ और पवित्र भुजा ने हमारा उद्धार किया है।
अनुवाक्य : पृथ्वी के कोने-कोने में हमारे ईश्वर का मुक्ति - विधान प्रकट हुआ है।

प्रभु ने अपना मुक्ति-विधान प्रकट किया और सभी राष्ट्रों को अपना न्याय दिखाया है। उसने अपनी प्रतिज्ञा का ध्यान रख कर इस्राएल के घराने की सुध ली है।
अनुवाक्य : पृथ्वी के कोने-कोने में हमारे ईश्वर का मुक्ति - विधान प्रकट हुआ है।

पृथ्वी के कोने-कोने में हमारे ईश्वर का मुक्ति-विधान प्रकट हुआ है। समस्त पृथ्वी आनन्द मनाये और ईश्वर का गुणगान करे।
अनुवाक्य : पृथ्वी के कोने-कोने में हमारे ईश्वर का मुक्ति - विधान प्रकट हुआ है।

वीणा बजा कर प्रभु के आदर में भजन गा कर सुनाओ। तुरही और नरसिंघे बजा कर अपने प्रभु ईश्वर का जयकार करो।
अनुवाक्य : पृथ्वी के कोने-कोने में हमारे ईश्वर का मुक्ति - विधान प्रकट हुआ है।

Second Reading
"ईश्वर हम से पुत्र के मुख से बोला है।"
प्राचीन काल में ईश्वर बारम्बार और विविध रूपों में हमारे पुरखों से नबियों द्वारा बोला था। अब अंत में वह हम से पुत्र द्वारा बोला है। उसने उस पुत्र के द्वारा समस्त विश्व की सृष्टि की है और उसी को सब कुछ का उत्तराधिकारी नियुक्त किया। वह पुत्र अपने पिता की महिमा का प्रतिबिम्ब और उसके तत्त्व का पूरा प्रतिरूप है। वह पुत्र अपने शक्तिशाली शब्द द्वारा समस्त सृष्टि की रक्षा करता है। उसने हमारे पापों का प्रायश्चित्त किया और अब वह सर्वशक्तिमान् ईश्वर के दाहिने विराजमान है। उसका स्थान स्वर्गदूतों से ऊँचा है, क्योंकि जो नाम उसे उत्तराधिकार में मिला है, वह उनके नाम से कहीं अधिक श्रेष्ठ है। क्या ईश्वर ने कभी किसी स्वर्गदूत से यह कहा, "तुम मेरे पुत्र हो, आज मैंने तुम्हें उत्पन्न किया है" और "मैं उसके लिए पिता बन जाऊँगा और वह मेरा पुत्र होगा"? फिर वह अपने पहलौठे को संसार के सामने प्रस्तुत करते हुए कहता है, "ईश्वर के सभी स्वर्गदूत उसकी आराधना करें। '

प्रभु की वाणी।

Gospel
योहन के अनुसार पवित्र सुसमाचार 1:1-18
"शब्द ने शरीर धारण कर हमारे बीच निवास किया।"

आदि में शब्द था, शब्द ईश्वर के साथ था और शब्द ईश्वर था। वह आदि में ईश्वर के साथ था। उसके द्वारा सब कुछ उत्पन्न हुआ और उसके बिना कुछ भी उत्पन्न नहीं हुआ। उस में जीवन था, और वह जीवन मनुष्यों की ज्योति था। वह ज्योति अंधकार में चमकती रहती है - अंधकार ने उसे नहीं बुझाया।

[ ईश्वर का भेजा हुआ योहन नामक एक मनुष्य प्रकट हुआ। वह साक्षी के रूप में आया, जिससे वह ज्योति के विषय में साक्ष्य दे और सब लोग उसके द्वारा विश्वास करें। वह स्वयं ज्योति नहीं था; उसे ज्योति के विषय में साक्ष्य देना था।]

शब्द वह सच्ची ज्योति था, जो प्रत्येक मनुष्य का अंधकार दूर करती है; वह संसार में आ रहा था। वह संसार में था, संसार उसके द्वारा उत्पन्न हुआ; किन्तु संसार ने उसे नहीं पहचाना। वह अपने यहाँ आया और उसके अपने लोगों ने उसे नहीं अपनाया। जितनों ने उसे अपनाया, और जो उसके नाम में विश्वास करते हैं, उन सबों को उसने ईश्वर की संतति बनने का अधिकार दिया है। वे न तो रक्त से, न शरीर की वासना से और न मनुष्य की इच्छा से, बल्कि ईश्वर से उत्पन्न हुए हैं। शब्द ने शरीर धारण कर हमारे बीच निवास किया। हम ने उसकी महिमा देखी; वह पिता के एकलौते पुत्र की महिमा जैसी है – अनुग्रह और सत्य से परिपूर्ण।

[ योहन ने पुकार -पुकार कर उनके विषय में यह साक्ष्य दिया, "यह वही हैं जिनके विषय में मैंने कहा - जो मेरे बाद आने वाले हैं, वह मुझ से बढ़कर हैं, क्योंकि वह मुझ से पहले थे"। उनकी परिपूर्णता से सबों को अनुग्रह पर अनुग्रह मिला है। संहिता तो मूसा के द्वारा दी गयी है, किन्तु अनुग्रह और सत्य येसु ख्रीस्त द्वारा मिला है। किसी ने कभी ईश्वर को देखा नहीं; पिता की गोद में रहने वाले एकलौते ईश्वर ने उसे प्रकट किया है।]

प्रभु का सुसमाचार।