Daily Readings

Mass Readings for
28 - Jun- 2025
Saturday, June 28, 2025
Liturgical Year C, Cycle I
(Saturday of the Twelfth week in Ordinary Time)

Saint Irenaeus, bishop and martyr - Memorial

दैनिक पाठ:
पहला पाठ: उत्पत्ति ग्रन्थ 18:1-15
स्तोत्र: सन्त लूकस 1:46-47, 48-49, 50, 53, 54-55
सुसमाचार : सन्त लूकस 2:41-51
(or)
पहला पाठ: इसायाह का ग्रन्थ 61:9-11
स्तोत्र: 1 Samuel 2:1, 4-7
सुसमाचार : सन्त लूकस 2:41-51

Readings for Vigil Mass for
पहला पाठ: प्रेरित-चरित 3:1-10
स्तोत्र: स्तोत्र ग्रन्थ 19:2-3, 4-5
दूसरा पाठ: Galatians 1:11-20
सुसमाचार : सन्त योहन 21:15-19

माता मरियम की माला विनती: आनन्द के पाँच भेद


कुँवारी मरियम का निष्कलंक हृदय - अनिवार्य स्मृति

पहला पाठ: उत्पत्ति ग्रन्थ 18:1-15
भंजन: सन्त लूकस 1:46-47, 48-49, 50, 53, 54-55
सुसमाचार: सन्त लूकस 2:41-51

First Reading
उत्पत्ति ग्रन्थ 18:1-15
1) इब्राहीम मामरे के बलूत के पास दिन की तेज गरमी के समय अपने तम्बू के द्वार पर बैठा हुआ था कि प्रभु उस को दिखाई दिया।
2) इब्राहीम ने आँख उठा कर देखा कि तीन पुरुष उसके सामने खडे हैं। उन्हें देखते ही वह तम्बू के द्वार से उन से मिलने के लिए दौड़ा और दण्डवत् कर
3) बोला, ''प्रभु! यदि मुझ पर आपकी कृपा हो, तो अपने सेवक के सामने से यों ही न चले जायें।
4) आप आज्ञा दे, तो मैं पानी मंगवाता हूँ। आप पैर धो कर वृक्ष के नीचे विश्राम करें।
5) इतने में मैं रोटी लाऊँगा। आप जलपान करने के बाद ही आगे बढ़ें। आप तो इसलिए अपने सेवक के यहाँ आए हैं।''
6) उन्होंने उत्तर दिया, ''तुम जैसा कहते हो, वैसा ही करो''। इब्राहीम ने तम्बू के भीतर दौड़ कर सारा से कहा ''जल्दी से तीन पसेरी मैदा गूंध कर फुलके तैयार करो''।
7) तब इब्राहीम ने ढोरों के पास दौड़ कर एक अच्छा मोटा बछड़ा लिया और नौकर को दिया, जो उसे जल्दी से पकाने गया।
8) बाद में इब्राहीम ने दही, दूध और पकाया हुआ बछड़ा ले कर उनके सामने रख दिया और जब तक वे खाते रहे, वह वृक्ष के नीचे खड़ा रहा।
9) उन्होंने इब्राहीम से पूछा, ''तुम्हारी पत्नी सारा कहाँ है?'' उसने उत्तर दिया, ''वह तम्बू के अन्दर है''।
10) इस पर अतिथि ने कहा, ''मैं एक वर्ष के बाद फिर तुम्हारे पास आऊँगा। उस समय तक तुम्हारी पत्नी को एक पुत्र होगा।''
11) इब्राहीम और सारा, दोनो बूढ़े हो चले थे; उनकी आयु बहुत अधिक हो गयी थी और सारा का मासिक धर्म बन्द हो गया था।
12) इसलिए सारा हँसने लगी और उसने अपने मन में कहा, ''क्या मैं अब भी पति के साथ रमण करूँ? मैं तो मुरझा गयी हूँ और मेरा पति भी बूढ़ा हो गया है।''
13) किन्तु प्रभु ने इब्राहीम से कहा, ''सारा यह सोच कर क्यों हँसी कि क्या सचमुच बुढ़ापे में भी मैं माता बन सकती हूँ?
14) क्या प्रभु के लिए कोई बात कठिन है? मैं अगले वर्ष इसी समय तुम्हारे यहाँ फिर आऊँगा और तब सारा को एक पुत्र होगा।''
15) सारा ने कहा, ''मैं नहीं हँसी'', क्योंकि वह डर गयी। किन्तु उसने उत्तर दिया, ''तुम निश्चय ही हँसी थी।''

Responsorial Psalm
सन्त लूकस 1:46-47, 48-49, 50, 53, 54-55


Gospel
सन्त लूकस 2:41-51
41) ईसा के माता-पिता प्रति वर्ष पास्का पर्व के लिए येरुसालेम जाया करते थे।
42) जब बालक बारह बरस का था, तो वे प्रथा के अनुसार पर्व के लिए येरुसालेम गये।
43) पर्व समाप्त हुआ और वे लौट पडे़; परन्तु बालक ईसा अपने माता-पिता के अनजाने में येरुसालेम में रह गया।
44) वे यह समझ रहे थे कि वह यात्रीदल के साथ है; इसलिए वे एक दिन की यात्रा पूरी करने के बाद ही उसे अपने कुटुम्बियों और परिचितों के बीच ढूँढ़ते रहे।
45) उन्होंने उसे नहीं पाया और वे उसे ढूँढ़ते-ढूँढ़ते येरुसालेम लौटे।
46) तीन दिनों के बाद उन्होंने ईसा को मन्दिर में शास्त्रियों के बीच बैठे, उनकी बातें सुनते और उन से प्रश्न करते पाया।
47) सभी सुनने वाले उसकी बुद्धि और उसके उत्तरों पर चकित रह जाते थे।
48) उसके माता-पिता उसे देख कर अचम्भे में पड़ गये और उसकी माता ने उस से कहा “बेटा! तुमने हमारे साथ ऐसा क्यों किया? देखो तो, तुम्हारे पिता और मैं दुःखी हो कर तुम को ढूँढते रहे।“
49) उसने अपने माता-पिता से कहा, “मुझे ढूँढ़ने की ज़रूरत क्या थी? क्या आप यह नहीं जानते थे कि मैं निश्चय ही अपने पिता के घर होऊँगा?“
50) परन्तु ईसा का यह कथन उनकी समझ में नहीं आया।
51) ईसा उनके साथ नाज़रेत गये और उनके अधीन रहे। उनकी माता ने इन सब बातों को अपने हृदय में संचित रखा।