Daily Readings
Liturgical Year A, Cycle II
Fourth Sunday of Advent
दैनिक पाठ:
पहला पाठ: इसायाह का ग्रन्थ 7:10-14
स्तोत्र: स्तोत्र ग्रन्थ 24:1-2, 3-4, 5-6
दूसरा पाठ: रोमियों के नाम सन्त पौलुस का पत्र 1:1-7
सुसमाचार : सन्त मत्ती 1:18-24
माता मरियम की माला विनती: आनन्द के पाँच भेद
Daily Readings
Fourth Sunday of Advent
पहला पाठ: इसायाह का ग्रन्थ 7:10-14
भंजन: स्तोत्र ग्रन्थ 24:1-2, 3-4, 5-6
दूसरा पाठ: रोमियों के नाम सन्त पौलुस का पत्र 1:1-7
सुसमाचार: सन्त मत्ती 1:18-24
First Reading
इसायाह का ग्रन्थ 7:10-14
"कुँवारी गर्भवती है।"
प्रभु ने फिर आखाज से कहा, "चाहे अधोलोक की गहराई से हो, चाहे आकाश की ऊँचाई से, अपने प्रभु ईश्वर से अपने लिए एक चिह्न माँगो”। आखाज ने उत्तर दिया, "जी नहीं ! मैं प्रभु की परीक्षा नहीं लूँगा।" इस पर उसने कहा, "हे दाऊद के वंश ! मेरी बात सुनो। क्या मनुष्यों को तंग करना तुम्हारे लिए पर्याप्त नहीं है, जो तुम ईश्वर के धैर्य की भी परीक्षा लेना चाहते हो? प्रभु स्वयं तुम्हें एक चिह्न देगा। और वह यह है- एक कुँवारी गर्भवती है। वह एक पुत्र को प्रसव करेगी और वह उसका नाम एम्मानुएल रखेगी, जिसका अर्थ है : प्रभु हमारे साथ है।
प्रभु की वाणी।
Responsorial Psalm
स्तोत्र ग्रन्थ 24:1-2, 3-4, 5-6
अनुवाक्य : प्रभु प्रवेश करे ! वह महिमा का ईश्वर है।
पृथ्वी और जो कुछ उस में है, संसार और उसके निवासी - यह सब प्रभु का है, क्योंकि उसी ने समुद्र पर उसकी नींव डाली है, प्रभु ने जल पर उसे स्थापित किया है।
अनुवाक्य : प्रभु प्रवेश करे ! वह महिमा का ईश्वर है।
प्रभु के पर्वत पर कौन चढ़ेगा? उसके मंदिर में कौन रहने पायेगा? वही, जिसके हाथ निर्दोष हैं, जिसका हृदय निर्मल है और जिसका मन असार संसार में नहीं रमता।
अनुवाक्य : प्रभु प्रवेश करे ! वह महिमा का ईश्वर है।
उसी को प्रभु की आशिष प्राप्त होगी, वही अपने मुक्तिदाता ईश्वर से पुरस्कार पायेगा। वह उन लोगों के सदृश है, जो प्रभु की खोज में लगे रहते हैं, जो याकूब के ईश्वर के दर्शनों के लिए तरसते हैं।
अनुवाक्य : प्रभु प्रवेश करे ! वह महिमा का ईश्वर है।
Second Reading
रोमियों के नाम सन्त पौलुस का पत्र 1:1-7
"येसु मसीह, दाऊद का वंशज, ईश्वर का पुत्र।"
यह पत्र येसु मसीह के दास पौलुस की ओर से है, जो ईश्वर के द्वारा प्रेरित चुना गया और उसके सुसमाचार के प्रचार के लिए नियुक्त किया गया है। ईश्वर ने बहुत पहले अपने नबियों के द्वारा इस सुसमाचार की प्रतिज्ञा की थी, जैसा कि धर्मग्रंथ में लिखा है। यह सुसमाचार ईश्वर के पुत्र, हमारे प्रभु येसु मसीह के विषय में है। वह मनुष्य के रूप में दाऊद के वंश में उत्पन्न हुए और मृतकों में से जी उठने के कारण पवित्र आत्मा के द्वारा सामर्थ्य के साथ ईश्वर के पुत्र प्रमाणित हुए। उन से मुझे प्रेरित बनने का वरदान मिला है, जिससे मैं उनके नाम पर ग़ैर-यहूदियों में प्रचार करूँ और वे लोग विश्वास की अधीनता स्वीकार करें। उन में से आप लोग भी हैं, जो येसु मसीह के समुदाय के लिए चुने गये हैं। मैं उन सबों के नाम यह पत्र लिख रहा हूँ, जो रोम में ईश्वर के कृपापात्र और उसकी प्रजा के सदस्य हैं, हमारा पिता ईश्वर, और प्रभु येसु मसीह आपलोगों को अनुग्रह तथा शांति प्रदान करें।
प्रभु की वाणी।
Gospel
सन्त मत्ती 1:18-24
"येसु की माता मरियम है। मरियम की मँगनी दाऊद के पुत्र यूसुफ़ से हुई थी।"
मसीह का जन्म इस प्रकार हुआ। उनकी माता मरियम की मँगनी यूसुफ़ से हुई थी, परन्तु ऐसा हुआ कि उनके एक साथ रहने के पहले ही मरियम पवित्र आत्मा से गर्भवती हो गयी थी। उसका पति यूसुफ़ उसे चुपके से त्याग देने की सोच रहा था, क्योंकि वह धर्मी था और मरियम को बदनाम नहीं करना चाहता था। वह इस पर विचार कर ही रहा था कि उसे स्वप्न में प्रभु का दूत यह कहते हुए दिखाई दिया, "हे यूसुफ़, दाऊद की सन्तान! अपनी पत्नी मरियम को अपने यहाँ लाने से न डरिए, क्योंकि उसका जो गर्भ है वह पवित्र आत्मा से है। वह पुत्र को प्रसव करेगी और आप उसका नाम येसु रखेंगे, क्योंकि वह अपने लोगों को उनके पापों से मुक्त करेगा।" यह सब इसलिए हुआ कि नबी के मुख से प्रभु ने जो कहा था, वह पूरा हो जाये – “देखो, एक कँवारी गर्भवती होगी और पुत्र को प्रसव करेगी, और उसका नाम एम्मानुएल रखा जायेगा, जिसका अर्थ है: ईश्वर हमारे साथ है।" यूसुफ़ नींद से उठ कर प्रभु के दूत के आज्ञानुसार अपनी पत्नी को अपने यहाँ ले आया।
प्रभु का सुसमाचार।