Daily Readings
Liturgical Year C, Cycle I
Friday of the Thirty‑second week in Ordinary Time
दैनिक पाठ:
पहला पाठ: Wisdom 13:1-9
स्तोत्र: स्तोत्र ग्रन्थ 19:2-3, 4-5
सुसमाचार : सन्त लूकस 17:26-37
माता मरियम की माला विनती: दु:ख के पाँच भेद
Daily Readings
वर्ष का बत्तीसवाँ सप्ताह, शुक्रवार - वर्ष 1
पहला पाठ: प्रज्ञा-ग्रन्थ 13:1-9
भंजन: स्तोत्र ग्रन्थ 19:2-3, 4-5
सुसमाचार: सन्त लूकस 17:26-37
First Reading
प्रज्ञा-ग्रन्थ 13:1-9
"यदि वे विश्व के विषय में चिन्तन कर सके, तो वे इसके स्वामी को क्यों नहीं पहचान गये?"
वे मनुष्य कितने मूर्ख हैं, जिन में ईश्वर का ज्ञान नहीं है! जो दृश्य जगत् को देख कर 'सत्' नामक ईश्वर को नहीं जान सके, जो सृष्टि को देख कर सृष्टिकर्ता को पहचानने में असमर्थ रहे! किन्तु उन्होंने अग्नि, पवन, सूक्ष्म वायु, तारा-मंडल, जल का तीव्र प्रवाह अथवा आकाश के ज्योति-पिण्डों को संसार का संचालन करने वाले देवता समझा है। यदि उन्होंने इन वस्तुओं के सौन्दर्य से मोहित हो कर इन्हें देवता समझ लिया है, तो वे यह जान जायें कि इन सब का स्वामी इन से कितना श्रेष्ठ है, क्योंकि समस्त सौन्दर्य के मूल स्रोत द्वारा इनकी सृष्टि हुई है। और यदि वे इन वस्तुओं की शक्ति और क्रियाशीलता से प्रभावित हुए, तो वे इन वस्तुओं से अनुमान लगायें कि इनका निर्माता कितना अधिक शक्तिशाली है; क्योंकि सृष्ट वस्तुओं की महानता और सौन्दर्य के आधार पर इनके निर्माता का अनुमान लगाया जा सकता है। किन्तु उन लोगों का दोष बड़ा नहीं है, क्योंकि वे ईश्वर को ढूँढ़ते और उसे पाने के इच्छुक थे, किन्तु वे भटक गये। वे ईश्वर के कार्यों के बीच जीवन बिता कर उनकी छानबीन करते हैं और दृश्य वस्तुओं के सौन्दर्य के कारण भ्रम में फँस जाते हैं। फिर भी वे लोग क्षम्य नहीं हैं, क्योंकि यदि वे ज्ञान में इतने आगे बढ़ गये थे कि विश्व के विषय में चिन्तन कर सके, तो वे शीघ्र ही इसके स्वामी को क्यों नहीं पहचान गये?
प्रभु की वाणी।
Responsorial Psalm
स्तोत्र ग्रन्थ 19:2-3, 4-5
अनुवाक्य : आकाश ईश्वर की महिमा बखानता है ।
आकाश ईश्वर की महिमा बखानता है, तारा-मंडल उसका सामर्थ्य प्रकट करता है। दिन दिन को इसकी कहानी सुनाता है और रात रात को इसे सुनाता है।
अनुवाक्य : आकाश ईश्वर की महिमा बखानता है ।
न तो कोई वाणी सुनाई देती है, न कोई शब्द और न कोई स्वर, फिर भी इसकी गूंज संसार भर में फैल जाती है और पृथ्वी के सीमान्तों तक इसकी ध्वनि।
अनुवाक्य : आकाश ईश्वर की महिमा बखानता है ।
Gospel
सन्त लूकस 17:26-37
"उस दिन मानव पुत्र प्रकट हो जायेगा।”
येसु ने अपने शिष्यों से यह कहा, "जो नूह के दिनों में हुआ था, वही मानव पुत्र के दिनों में भी होगा। नूह के जहाज पर चढ़ने के दिन तक लोग खाते-पीते और शादी-ब्याह करते रहे। तब जलप्रलय आया और उसने सब को नष्ट कर दिया। लोत के दिनों में भी वही हुआ था। लोग खाते-पीते, लेन-देन करते, पेड़ लगाते और घर बनाते रहे; परन्तु जिस दिन लोत ने सोदोम को छोड़ दिया, ईश्वर ने आकाश से आग और गंधक बरसायी और सब के सब नष्ट हो गये। मानव पुत्र के प्रकट होने के दिन वैसा ही होगा।" "उस दिन जो छत पर हो और उसका सामान घर में हो, वह उसे ले जाने के लिए नीचे न उतरे और जो खेत में हो, वह भी घर न लौटे। लोत की पत्नी को याद करो। जो अपने जीवन को सुरक्षित रखने का प्रयत्न करेगा, वह उसे खो देगा और जो उसे खो देगा, वह उसे सुरक्षित रखेगा।” "मैं तुम से कहता हूँ, उस रात को दो एक खाट पर होंगे - एक उठा लिया जायेगा और दूसरा छोड़ दिया जायेगा। दो स्त्रियाँ साथ-साथ चक्की पीसती होंगी- एक उठा ली जायेगी और दूसरी छोड़ दी जायेगी।" इस पर उन्होंने येसु से पूछा, "प्रभु! यह कहाँ होगा? " उन्होंने उत्तर दिया "जहाँ लाश होगी, वहाँ गीध भी इकट्ठे हो जायेंगे।"
प्रभु का सुसमाचार।