Daily Readings

Mass Readings for
30 - Dec- 2025
Tuesday, December 30, 2025
Liturgical Year A, Cycle II
Tuesday of Christmas Week

दैनिक पाठ:
पहला पाठ: First John 2:12-17
स्तोत्र: स्तोत्र ग्रन्थ 96:7-8, 8-9, 10
सुसमाचार : सन्त लूकस 2:36-40

माता मरियम की माला विनती: दु:ख के पाँच भेद


Tuesday of Christmas Week

पहला पाठ: सन्त योहन का पहला पत्र 2:12-17
भंजन: स्तोत्र ग्रन्थ 96:7-8, 8-9, 10
सुसमाचार: सन्त लूकस 2:36-40

First Reading
सन्त योहन का पहला पत्र 2:12-17
“जो इंश्वर की इच्छा पूरी करता है, वह युग-युगों तक बना रहता है।''

बच्चो ! मैं तुम्हें इसलिए लिंख रहा हूँ कि उनके नाम के कारण तुम्हारे पाप क्षमा किये गये हैं। पिताओ ! मैं तुम्हें इसलिए लिख रहा हूँ कि तुम उसे जानते हो, जो आदि काल से विद्यमान है। युवको ! मैं तुम्हें इसलिए लिख रहा हूँ कि तुमने दुष्ट पर विजय पायी है। बच्चो ! मैं तुम्हें इसलिए लिख रहा हूँ कि तुम पिता को जानते हो; पिताओ ! मैं तुम्हें इसलिए लिख रहा हूँ कि तुम उसे जानते हो, जो आदि काल से विद्यमान है। युवको ! मैं तुम्हें इसलिए लिख रहा हूँ कि तुम शक्तिशाली हो। ईश्वर का वचन तुम में बना रहता है और तुमने दुष्ट पर विजय पायी है। तुम न तो संसार को प्यार करो और न संसार की वस्तुओं को। जो संसार को प्यार करता है, उस में पिता का प्रेम नहीं। संसार में जो शरीर की वासना, आँखों का लोभ और धन-सम्पत्ति का आडम्बर है, यह सब पिता से नहीं, बल्कि संसार से आता है। संसार और उसकी वासना समाप्त हो रही है, किन्तु जो ईश्वर की इच्छा पूरी करता है, वह युग-युगों तक बना रहता है।

प्रभु की वाणी।

Responsorial Psalm
स्तोत्र ग्रन्थ 96:7-8, 8-9, 10
अनुवाक्य : स्वर्ग में आनन्द हो और पृथ्वी पर उल्लास।

पृथ्वी की सभी जातियों ! प्रभु की महिमा तथा शक्ति का बखान करो, उसके नाम की महिमा का गीत सुनाओ।
अनुवाक्य : स्वर्ग में आनन्द हो और पृथ्वी पर उल्लास।

चढ़ावा ले कर प्रभु के प्रांगण में प्रवेश करो। प्रभु के मंदिर में उसकी आराधना करो। समस्त पृथ्वी उसके सामने काँप उठे।
अनुवाक्य : स्वर्ग में आनन्द हो और पृथ्वी पर उल्लास।

राष्ट्रों को यह घोषित करो, “प्रभु ही राजा है''। उसी ने पृथ्वी का आधार सुदृढ़ बना दिया। वह न्यायपूर्वक सभी लोगों का न्याय करेगा।
अनुवाक्य : स्वर्ग में आनन्द हो और पृथ्वी पर उल्लास।

Gospel
सन्त लूकस 2:36-40
“जो लोग इस्राएल की मुक्ति की प्रतीक्षा में थे, वह उन सबों को उस बालक के विषय में बताया करती थी।”'

अन्ना नामक एक नबिया थी, जो असेरवंशी फनुएल की बेटी थी। वह बहुत बूढ़ी हो चली थी। वह विवाह के बाद केवल सात बरस अपने पति के साथ रह कर विधवा हो गयी थी और अब चौरासी बरस की थी। वह मंदिर से बाहर नहीं जाती थी और उपवास तथा प्रार्थना करते हुए रात-दिन ईश्वर की उपासना में लगी रहती थी। वह उसी घड़ी आ कर प्रभु की स्तुति करने लगी और जो लोग येरुसालेम की मुक्ति की प्रतीक्षा में थे, वह उन सबों को उस बालक के विषय में बताया करती थी। प्रभु की संहिता के अनुसार सब कुछ पूरा कर लेने के बाद वे गलीलिया - अपनी नगरी नाजरेथ - लौट गये। वह बालक बढ़ता गया। उस में बल तथा बुद्धि का विकास होता गया और उस पर ईश्वर का अनुग्रह बना रहा।

प्रभु का सुसमाचार।