Daily Readings

Mass Readings for
14 - Oct- 2025
Tuesday, October 14, 2025
Liturgical Year C, Cycle I
Tuesday of the Twenty‑eighth week in Ordinary Time

दैनिक पाठ:
पहला पाठ: रोमियों के नाम सन्त पौलुस का पत्र 1:16-25
स्तोत्र: स्तोत्र ग्रन्थ 19:2-3, 4-5
सुसमाचार : सन्त लूकस 11:37-41

Saint Callistus I, pope and martyr - Optional Memorial

माता मरियम की माला विनती: दु:ख के पाँच भेद


वर्ष का अट्ठाईसवाँ सप्ताह, मंगलवार - वर्ष 1

पहला पाठ: रोमियों के नाम सन्त पौलुस का पत्र 1:16-25
भंजन: स्तोत्र ग्रन्थ 19:2-3, 4-5
सुसमाचार: सन्त लूकस 11:37-41

First Reading
रोमियों के नाम सन्त पौलुस का पत्र 1:16-25
"उन्होंने ईश्वर को जानते हुए भी उसे समुचित आदर नहीं दिया है।"

मुझे सुसमाचार से लज्जा नहीं। यह ईश्वर का सामर्थ्य है, जो प्रत्येक विश्वास करने वाले के लिए- पहले यहूदी और फिर यूनानी के लिए - मुक्ति का स्रोत है। सुसमाचार में ईश्वर की सत्यप्रतिज्ञता प्रकट होती है, जो विश्वास के द्वारा ही मनुष्य को धार्मिक बनाता है, जैसा कि लिखा है: धार्मिक मनुष्य अपने विश्वास के द्वारा जीवन प्राप्त करेगा । ईश्वर का क्रोध स्वर्ग से उन लोगों के सब प्रकार के अधर्म और अन्याय पर प्रकट हो जाता है, जो अन्याय द्वारा सत्य को दबाये रखते हैं। ईश्वर का ज्ञान उन लोगों को स्पष्ट रूप से मिल गया है, क्योंकि ईश्वर ने उसे उन पर प्रकट कर दिया है। संसार की सृष्टि के समय से ही ईश्वर के अदृश्य स्वरूप को उसकी शाश्वत शक्तिमत्ता और उसके ईश्वरत्व को - उसके कार्यों में बुद्धि की आँखों द्वारा देखा जा सकता है। इसलिए वे अपने आचरण की सफाई देने में असमर्थ हैं, क्योंकि उन्होंने ईश्वर को जानते हुए भी उसे समुचित आदर और धन्यवाद नहीं दिया। उनका समस्त चिन्तन व्यर्थ चला गया और उनका विवेकहीन मन अन्धकारमय हो गया। वे अपने को बुद्धिमान् समझते हैं, किन्तु वे मूर्ख बन गये हैं। उन्होंने अनश्वर ईश्वर की महिमा के बदले नश्वर मनुष्य, पक्षियों, पशुओं तथा सर्पों की अनुकृतियों की शरण ली। इसलिए ईश्वर ने उन्हें उनकी घृणित वासनाओं का शिकार होने दिया और वे एक दूसरे के शरीर को अपवित्र करते हैं। उन्होंने ईश्वर के सत्य के स्थान पर झूठ को अपनाया और सृष्ट वस्तुओं की उपासना और आराधना की, किन्तु उस सृष्टिकर्त्ता की नहीं, जो युग युगों तक धन्य है। आमेन।

प्रभु की वाणी।

Responsorial Psalm
स्तोत्र ग्रन्थ 19:2-3, 4-5
अनुवाक्य : आकाश ईश्वर की महिमा बखानता है ।

आकाश ईश्वर की महिमा बखानता है, तारा-मंडल उसका सामर्थ्य प्रकट करता है। दिन, दिन को इसकी कहानी सुनाता है और रात, रात को इसे बताती है
अनुवाक्य : आकाश ईश्वर की महिमा बखानता है ।

न तो कोई वाणी सुनाई देती है, न कोई शब्द और न कोई स्वर, फिर भी इसकी गूंज संसार भर में फैल जाती है और पृथ्वी के सीमान्तों तक इसकी ध्वनि ।
अनुवाक्य : आकाश ईश्वर की महिमा बखानता है ।

Gospel
सन्त लूकस 11:37-41
"दान कर दो और सब कुछ तुम्हारे लिए शुद्ध हो जायेगा ।"

येसु के उपदेश के बाद किसी फरीसी ने उन से यह निवेदन किया कि आप मेरे यहाँ भोजन करें और वह उसके यहाँ जा कर भोजन करने बैठ गये। फरीसी को यह देख कर आश्चर्य हुआ कि उन्होंने भोजन से पहले हाथ नहीं धोये । प्रभु ने उस से कहा, "तुम फरीसी लोग प्याले और थाली को ऊपर से तो माँजते हो, परन्तु तुम भीतर लालच और दुष्टता से भरे हुए हो । मूर्खे ! जिसने बाहर बनाया, क्या उसी ने अन्दर नहीं बनाया ! जो अंदर है, उस में से दान कर दो, और देखो, सब कुछ तुम्हारे लिए शुद्ध हो जायेगा।"

प्रभु का सुसमाचार।