Daily Readings
Liturgical Year C, Cycle I
(Thursday of the Thirty‑second week in Ordinary Time)
Saint Frances Xavier Cabrini, virgin - Memorial
दैनिक पाठ:
पहला पाठ: Wisdom 7:22-8:1
स्तोत्र: स्तोत्र ग्रन्थ 119:89, 90, 91, 130, 135, 175
सुसमाचार : सन्त लूकस 17:20-25
माता मरियम की माला विनती: ज्योति के पाँच भेद
Daily Readings
वर्ष का बत्तीसवाँ सप्ताह, बृहस्पतिवार - वर्ष 1
पहला पाठ: प्रज्ञा-ग्रन्थ 7:22-8:1
भंजन: स्तोत्र ग्रन्थ 119:89, 90, 91, 130, 135, 175
सुसमाचार: सन्त लूकस 17:20-25
First Reading
प्रज्ञा-ग्रन्थ 7:22-8:1
"प्रज्ञा शाश्वत ज्योति का प्रतिबिम्ब और ईश्वर की सक्रियता का परिशुद्ध दर्पण।”
प्रज्ञा में एक आत्मा विद्यमान है, जो विवेकशील, पवित्र, अद्वितीय, बहुविध, सूक्ष्म, गतिमय, शुद्ध, निष्कलंक, स्वच्छ, दुःखातीत, हितकारी, तत्पर, अदम्य, उपकारी, जनहितैषी, सुदृढ़, विश्वासनीय, प्रशान्त, सर्वशक्तिमान् और सर्वनिरीक्षक है और सभी विवेकशील, शुद्ध तथा सूक्ष्म जीवात्माओं में व्याप्त है। क्योंकि प्रज्ञा किसी भी गति से अधिक गतिशील है। वह इतनी परिशुद्ध है कि वह सब कुछ में प्रवेश कर जाती और व्याप्त रहती है। वह ईश्वर की शक्ति का प्रस्रव है, सर्वशक्तिमान् की महिमा की परिशुद्ध प्रदीप्ति है, इसलिए कोई अशुद्धता उस में प्रवेश नहीं कर पाती। वह शाश्वत ज्योति का प्रतिबिम्ब है, ईश्वर की सक्रियता का परिशुद्ध दर्पण और उसकी भलाई का प्रतिरूप है। वह अकेली होते हुए भी सब कुछ कर सकती है। वह अपरिवर्तनीय होते हुए भी सब कुछ को नवीन बनाती रहती है। वह पीढ़ी-दर-पीढ़ी पवित्र जीवात्माओं में प्रवेश कर उन्हें ईश्वर के मित्र और नबी बनाती है; क्योंकि ईश्वर केवल उसी को प्यार करता है, जो प्रज्ञा के साथ निवास करता है। प्रज्ञा सूर्य से भी रमणीय है, सभी नक्षत्रों से श्रेष्ठ है और प्रकाश से भी बढ़ कर है क्योंकि प्रकाश रात्रि के सामने दूर हो जाता है, किन्तु प्रज्ञा पर दुष्टता का वश नहीं चलता। प्रज्ञा की शक्ति पृथ्वी के एक छोर से दूसरे छोर तक सक्रिय है और वह सुचारू रूप से विश्व का संचालन करती है।
Responsorial Psalm
स्तोत्र ग्रन्थ 119:89, 90, 91, 130, 135, 175
अनुवाक्य : हे प्रभु! तेरा वचन सदा-सर्वदा बना रहेगा।
हे प्रभु! तेरा वचन सदा-सर्वदा स्वर्ग की तरह बना रहेगा।
अनुवाक्य : हे प्रभु! तेरा वचन सदा-सर्वदा बना रहेगा।
तेरी सत्यप्रतिज्ञता पीढ़ी-दर-पीढ़ी बनी रहती है, तेरे द्वारा स्थापित पृथ्वी आज तक सुदृढ़ है।
अनुवाक्य : हे प्रभु! तेरा वचन सदा-सर्वदा बना रहेगा।
यह सब तेरी इच्छा के अनुसार बना रहता है, क्योंकि सब चीजें तेरी आज्ञा मानती हैं।
अनुवाक्य : हे प्रभु! तेरा वचन सदा-सर्वदा बना रहेगा।
तेरी वाणी की व्याख्या ज्योति प्रदान करती है। वह अशिक्षितों की भी समझ में आती है।
अनुवाक्य : हे प्रभु! तेरा वचन सदा-सर्वदा बना रहेगा।
अपने सेवक पर दयादृष्टि कर और मुझे अपनी संहिता सिखा। 6 मैं तेरी स्तुति करने के लिए जीवित रहूँ। तेरी आज्ञाएँ मेरा पथप्रदर्शन करती रहें।
अनुवाक्य : हे प्रभु! तेरा वचन सदा-सर्वदा बना रहेगा।
Gospel
सन्त लूकस 17:20-25
"ईश्वर का राज्य तुम्हारे ही बीच है।”
जब फरीसियों ने उन से पूछा कि ईश्वर का राज्य कब आयेगा, तो येसु ने उन्हें उत्तर दिया, "ईश्वर का राज्य प्रकट रूप से नहीं आता। लोग नहीं कह सकेंगे, 'देखो वह यहाँ है' अथवा 'देखो वह वहाँ है' क्योंकि ईश्वर का राज्य तुम्हारे ही बीच है।" येसु ने अपने शिष्यों से कहा, "ऐसा समय आयेगा जब तुम मानव पुत्र को एक दिन भी देखना चाहोगे, किन्तु उसे नहीं देख पाओगे। लोग तुम से कहेंगे, 'देखो वह यहाँ है", अथवा, 'देखो - वह वहाँ है', तो तुम उधर नहीं जाना, उनके पीछे नहीं दौड़ना। क्योंकि जैसे बिजली आकाश के एक छोर से निकल कर दूसरे छोर तक चमकती है, वैसे ही मानव पुत्र अपने दिन प्रकट होगा। परन्तु पहले उसे बहुत दुःख सहना और इस पीढ़ी द्वारा ठुकराया जाना है।"
प्रभु का सुसमाचार।