Daily Readings
Liturgical Year C, Cycle I
Thursday of the Twenty‑eighth week in Ordinary Time
दैनिक पाठ:
पहला पाठ: रोमियों के नाम सन्त पौलुस का पत्र 3:21-29
स्तोत्र: स्तोत्र ग्रन्थ 130:1-2, 3-4, 5-6
सुसमाचार : सन्त लूकस 11:47-54
or
पहला पाठ: Ephesians 3:14-19
Saint Hedwig, religious - Optional Memorial
Saint Margaret Mary Alacoque, virgin - Optional Memorial
माता मरियम की माला विनती: ज्योति के पाँच भेद
Daily Readings
वर्ष का अट्ठाईसवाँ सप्ताह, बृहस्पतिवार - वर्ष 1
पहला पाठ: रोमियों के नाम सन्त पौलुस का पत्र 3:21-29
भंजन: स्तोत्र ग्रन्थ 130:1-2, 3-4, 5-6
दूसरा पाठ: एफ़ेसियों के नाम सन्त पौलुस का पत्र 3:14-19
सुसमाचार: सन्त लूकस 11:47-54
First Reading
रोमियों के नाम सन्त पौलुस का पत्र 3:21-29
"मनुष्य संहिता के कर्मकाण्ड द्वारा नहीं, बल्कि विश्वास द्वारा पापमुक्त हो जाता है।"
ईश्वर का मुक्ति-विधान, जिसके विषय में मूसा की संहिता और नबियों ने साक्ष्य दिया था, अब संहिता से स्वतन्त्र रूप में प्रकट किया गया है। वह मुक्ति येसु मसीह में विश्वास करने से प्राप्त होती है। अब भेदभाव नहीं रहा, यह मुक्ति उन सबों के लिए है, जो विश्वास करते हैं। क्योंकि सबों ने पाप किया और सब ईश्वर की महिमा से वंचित किये गये । ईश्वर की कृपा से सबों को मुफ्त में पापमुक्ति का वरदान मिला है; क्योंकि येसु मसीह ने सबों का उद्धार किया है। ईश्वर ने चाहा कि येसु अपना रक्त बहा कर पाप का प्रायश्चित्त करें और हम विश्वास द्वारा उसका फल प्राप्त करें। ईश्वर ने इस प्रकार अपनी न्यायप्रियता का प्रमाण दिया, क्योंकि उसने अपनी सहनशीलता के अनुरूप पिछले युगों के पापों को अनदेखा कर दिया था। उसने इस युग में अपनी न्यायप्रियता का प्रमाण देना चाहा, जिससे यह स्पष्ट हो जाये कि वह स्वयं पवित्र है और उन सबों को पापमुक्त कर देता है, जो येसु में विश्वास करते हैं। इसलिए किसी को अपने पर गर्व करने का अधिकार नहीं रहा। किस विधान के कारण यह अधिकार जाता रहा? यह कर्मकाण्ड के विधान के कारण नहीं हुआ, बल्कि विश्वास के विधान के कारण। क्योंकि हम मानते हैं कि संहिता के कर्मकाण्ड द्वारा नहीं, बल्कि विश्वास द्वारा मनुष्य पापमुक्त होता है। क्या ईश्वर केवल यहूदियों का ईश्वर है? क्या वह गैरयहूदियों का ईश्वर नहीं? वह निश्चय ही गैरयहूदियों का भी ईश्वर है। क्योंकि केवल एक ही ईश्वर है, जो खतने वालों को विश्वास द्वारा पापमुक्त करेगा और उसी विश्वास द्वारा बेखतने लोगों को भी ।
प्रभु की वाणी।
Responsorial Psalm
स्तोत्र ग्रन्थ 130:1-2, 3-4, 5-6
अनुवाक्य : दयासागर प्रभु उदारतापूर्वक मुक्ति प्रदान करता है।
हे प्रभु ! मैं गहरे गर्त्त में से तेरी दुहाई देता हूँ। हे प्रभु! तू मेरी पुकार सुन और मेरी विनती पर ध्यान देने की कृपा कर।
अनुवाक्य : दयासागर प्रभु उदारतापूर्वक मुक्ति प्रदान करता है।
हे प्रभु ! यदि तू हमारे अपराधों को याद रखेगा, तो कौन टिक सकेगा ! तुझ से पापों की क्षमा मिलती ही है, इसलिए लोग तुम पर श्रद्धा रखते हैं।
अनुवाक्य : दयासागर प्रभु उदारतापूर्वक मुक्ति प्रदान करता है।
प्रभु ही मेरा आसरा है। मेरी आत्मा उसकी प्रतिज्ञा पर भरोसा रखती है। मेरी आत्मा प्रभु की राह देखती है।
अनुवाक्य : दयासागर प्रभु उदारतापूर्वक मुक्ति प्रदान करता है।
Second Reading
एफ़ेसियों के नाम सन्त पौलुस का पत्र 3:14-19
14 (14-15) मैं उस पिता के सामने, जो स्वर्ग में और पृथ्वी पर प्रत्येक परिवार का मूल आधार है, घुटने टेक कर यह प्रार्थना करता हूँ
16) कि वह अपने आत्मा द्वारा आप लोगों को अपनी अपार कृपानिधि से आभ्यन्तर शक्ति और सामर्थ्य प्रदान करें,
17) जिससे विश्वास द्वारा मसीह आपके हृदयों में निवास करें, प्रेम में आपकी जड़ें गहरी हों और नींव सुदृढ़ हो।
18) इस तरह आप लोग अन्य सभी सन्तों के साथ मसीह के प्रेम की लम्बाई, चैड़ाई, ऊँचाई और गहराई समझ सकेंगे।
19) आप लोगों को उनके प्रेम का ज्ञान प्राप्त होगा, यद्यपि वह ज्ञाने से परे है। इस प्रकार आप लोग, ईश्वर की पूर्णता तक पहुँच कर, स्वयं परिपूर्ण हो जायेंगे।
Gospel
सन्त लूकस 11:47-54
"हाबिल के रक्त से ले कर जकरियस के रक्त तक, जितने नबियों का रक्त बहाया गया है, उसका हिसाब इस पीढ़ी को चुकाना पड़ेगा।"
प्रभु ने कहा, "धिक्कार तुम लोगों को ! क्योंकि तुम नबियों के लिए मकबरे बनवाते हो, जब कि तुम्हारे पूर्वजों ने उन को मार डाला है। इस प्रकार तुम अपने पूर्वजों के कर्मों की गवाही देते हो और उन से सहमत भी हो; क्योंकि उन्होंने तो उन को मार डाला और तुम उनके मकबरे बनवाते हो । "इस कारण ईश्वर की प्रज्ञा ने यह कहा है मैं उनके पास नबियों और प्रेरितों को भेजूंगा; वे उन में से कितनों को मार डालेंगे और कितनों पर अत्याचार करेंगे। इसलिए संसार के आरम्भ से जितने नबियों का रक्त बहाया गया है - हाबिल के रक्त से ले कर जकरियस के रक्त तक, जो वेदी और मंदिर-गर्भ के बीच मारा गया था उसका हिसाब इस पीढ़ी को चुकाना पड़ेगा। मैं तुम से कहता हूँ, उसका हिसाब इसी पीढ़ी को चुकाना पड़ेगा ।" “ऐ शास्त्रियो, धिक्कार तुम लोगों को ! क्योंकि तुमने ज्ञान की कुंजी ले ली। तुमने स्वयं प्रवेश नहीं किया और जो प्रवेश करना चाहते थे, उन्हें रोका।" जब येसु उस घर से निकले, तो शास्त्री और फरीसी बुरी तरह उनके पीछे पड़ गये और बहुत-सी बातों के संबंध में उन को छेड़ने लगे। वे इस ताक में थे कि येसु के किसी न किसी कथन में दोष निकाल लें।
प्रभु का सुसमाचार।