Daily Readings

Mass Readings for
22 - Nov- 2025
Saturday, November 22, 2025
Liturgical Year C, Cycle I
(Saturday of the Thirty‑third week in Ordinary Time)

Saint Cecelia, virgin and martyr - Memorial

दैनिक पाठ:
पहला पाठ: First Maccabees 6:1-13
स्तोत्र: स्तोत्र ग्रन्थ 9:2-3, 4, 6, 16, 19
सुसमाचार : सन्त लूकस 20:27-40

माता मरियम की माला विनती: आनन्द के पाँच भेद


वर्ष का तैंतीसवाँ सप्ताह, शनिवार - वर्ष 1

पहला पाठ: मक्काबियों का पहला ग्रन्थ 6:1-13
भंजन: स्तोत्र ग्रन्थ 9:2-3, 4, 6, 16, 19
सुसमाचार: सन्त लूकस 20:27-40

First Reading
मक्काबियों का पहला ग्रन्थ 6:1-13
"मैंने येरुसालेम के साथ अत्याचार किया था, इसी से मैं गहरे शोक के कारण मर रहा हूँ।"

जब अन्तियोख पहाड़ी प्रान्तों का दौरा कर रहा था, तो उसने सुना कि फारस देश का एलिमईस नगर अपनी सम्पत्ति और सोना-चाँदी के लिए प्रसिद्ध है और यह कि वहाँ का मंदिर अत्यन्त समृद्ध है और उस में वे स्वर्ण ढाल, कवच और अस्त्र-शस्त्र सुरक्षित हैं, जिन्हें फिलिप के पुत्र सिकन्दर, मकेदूनिया के राजा और युनानियों के प्रथम शासक, ने वहाँ छोड़ दिया था। इसलिए वह उस नगर पर अधिकार करने और उसे लूटने के लिए चल पड़ा, किन्तु वह ऐसा नहीं कर पाया; क्योंकि नागरिकों को उस अभियान का पता चल गया था। उन्होंने हथियार ले कर उसका सामना किया और उसे भागना पड़ा। उसने दुःखी हो कर वहाँ से बाबूल के लिए प्रस्थान किया। वह फारस में ही था, जब उसे यह समाचार मिला कि जो सेना यहूदिया पर आक्रमण करने निकली थी, वह परास्त हो कर हट रही है। लीसियस एक विशाल सेना ले कर वहाँ गया था, किन्तु उसे यहूदियों के सामने से पीछे हट जाना पड़ा। अब यहूदी अपने अस्त्रों, अपने सैनिकों की संख्या और परास्त सेनाओं की लूट के कारण शक्तिशाली बन गये थे। उन्होंने येरुसालेम की होम-वेदी पर अन्तियोख द्वारा स्थापित घृणित मूर्ति को ढाह दिया, पहले की तरह मंदिर के चारों ओर ऊँची दीवाल बनवायी और उसके नगर बेत-सूर की भी किलाबन्दी की। राजा यह सुन कर चकित रह गया। वह जो चाहता था, वह नहीं हो पाया था। वह बहुत घबराया, पलंग पर लेट गया और दुःख के कारण बीमार हो गया; क्योंकि वह इस तरह बहुत दिनों तक पड़ा रहा, क्योंकि एक गहरा विषाद उस पर छाया रहा। तब वह समझने लगा कि वह मरने को है, और उसने अपने सब मित्रों को बुला कर उन से कहा, "मुझे नींद नहीं आती और मेरा हृदय शोक के कारण टूट गया है। मैंने पहले अपने मन में कहा, 'मैं कितना कष्ट सह रहा हूँ और मुझ पर दुःख का कितना बड़ा पहाड़ टूट पड़ा है। मैं तो अपने शासन के दिनों में दयालु और लोकप्रिय था।' किन्तु अब मुझे याद आ रहा है कि मैंने येरुसालेम के साथ कितना अत्याचार किया- मैं वहाँ के चाँदी और सोने के सब पात्र चुरा कर ले गया और मैंने अकारण यूदा के निवासियों को मारने का आदेश दिया। मुझे लगता है कि मैं इसी से ये कष्ट भोग रहा हूँ और गहरे शोक के कारण यहाँ विदेश में मर रहा हूँ।"

प्रभु की वाणी।

Responsorial Psalm
स्तोत्र ग्रन्थ 9:2-3, 4, 6, 16, 19
अनुवाक्य : हे प्रभु! मैं उल्लसित हो कर मुक्ति की स्तुति करूँगा।

हे प्रभु! मैं सारे हृदय से तुझे धन्यवाद देता हूँ, मैं तेरे सभी अपूर्व कार्यों का बखान करता हूँ। मैं उल्लसित हो कर तुझ में आनन्द मनाता और तेरे पवित्र नाम के आदर में भजन गाता हूँ।
अनुवाक्य : हे प्रभु! मैं उल्लसित हो कर मुक्ति की स्तुति करूँगा।

तेरे शत्रुओं को पीछे हट जाना पड़ा। वे मेरे सामने विचलित हो कर नष्ट हो गये हैं। तूने राष्ट्रों को हरा दिया और दुष्टों का सर्वनाश किया, तूने सदा के लिए उनका नाम मिटा दिया है।
अनुवाक्य : हे प्रभु! मैं उल्लसित हो कर मुक्ति की स्तुति करूँगा।

राष्ट्र उस चोरगढ़े में गिरे, जिसे उन्होंने खोदा था; जो फन्दा उन्होंने लगाया था, उसी में उनके पैर फँस गये। क्योंकि तू न तो अन्त तक दरिद्र को भूल जाता और न दीन-दुःखियों की आशा व्यर्थ होने देता है।
अनुवाक्य : हे प्रभु! मैं उल्लसित हो कर मुक्ति की स्तुति करूँगा।

Gospel
सन्त लूकस 20:27-40
"प्रभु मृतकों का नहीं, जीवितों का ईश्वर है।"

सदूकी येसु के पास आये। उनकी धारणा है कि मृतकों का पुनरुत्थान नहीं होता। उन्होंने येसु के सामने यह प्रश्न रखा, "गुरुवर! मूसा ने हमारे लिए यह नियम बनाया है यदि किसी का भाई अपनी पत्नी के रहते निस्सन्तान मर जाये, तो वह अपने भाई की विधवा को ब्याह कर अपने भाई के लिए सन्तान उत्पन्न करे। सात भाई थे। पहले ने विवाह किया और वह निस्सन्तान मर गया। दूसरा और तीसरा आदि सातो भाई विधवा को ब्याह कर निस्सन्तान मर गये। अंत में वह स्त्री भी मर गयी। अब पुनरुत्थान में वह किसकी पत्नी होगी? वह तो सातो की पत्नी रह चुकी है।" येसु ने उन से कहा, "इस लोक में पुरुष विवाह करते हैं और स्त्रियाँ विवाह में दी जाती हैं: परन्तु जो परलोक तथा मृतकों के पुनरुत्थान के योग्य पाये जाते हैं, उन लोगों में न तो पुरुष विवाह करते हैं और न स्त्रियाँ विवाह में दी जाती हैं। वे फिर कभी नहीं मरते। वे तो स्वर्गदूतों के सदृश होते हैं और पुनरुत्थान की सन्तति बन जाते हैं। मृतकों का पुनरुत्थान होता है। मूसा ने भी झाड़ी की कथा में इसका संकेत किया है, जहाँ वह प्रभु को इब्राहीम का ईश्वर, इसहाक का ईश्वर और याकूब का ईश्वर कहते हैं। वह मृतकों का नहीं, - जीवितों का ईश्वर है, क्योंकि उसके लिए सभी जीवित हैं।" इस पर कुछ शास्त्रियों ने उस से कहा, "गुरुवर! आपने ठीक ही कहा।" इसके बाद उन्हें येसु से और कोई प्रश्न पूछने का साहस नहीं हुआ।

प्रभु का सुसमाचार।