Daily Readings
Liturgical Year A, Cycle II
Monday of Christmas Week
दैनिक पाठ:
पहला पाठ: First John 2:3-11
स्तोत्र: स्तोत्र ग्रन्थ 96:1-2, 2-3, 5-6
सुसमाचार : सन्त लूकस 2:22-35
Saint Thomas Becket, bishop and martyr - Optional Memorial
माता मरियम की माला विनती: आनन्द के पाँच भेद
Daily Readings
29 दिसम्बर - खीस्त-जयन्ती के अठवारे का पाँचवाँ दिन
पहला पाठ: सन्त योहन का पहला पत्र 2:3-11
भंजन: स्तोत्र ग्रन्थ 96:1-2, 2-3, 5-6
सुसमाचार: सन्त लूकस 2:22-35
First Reading
सन्त योहन का पहला पत्र 2:3-11
“जो अपने भाई को प्यार करता है, वही ज्योति में निवास करता है।”
यदि हम येसु की आज्ञाओं का पालन करेंगे, तो उसी से हमें पता चलेगा कि हम उन्हें जानते हैं। जो कहता है कि मैं उन्हें जानता हूँ, किन्तु उनकी आज्ञाओं का पालन नहीं करता, वह झूठा है और उस में सच्चाई नहीं है। परन्तु जो उनकी आज्ञाओं का पालन करता है, ईश्वर का प्रेम उस में परिपूर्णता तक पहुँचता है। जो कहता है कि मैं उन में विश्वास करता हूँ, उसे वैसा ही आचरण करना चाहिए, जैसा आचरण मसीह ने किया है। प्रिय भाइयों। मैं तुम्हें कोई नयी आज्ञा नहीं लिख रहा हूँ। यह वह पुरानी आज्ञा है, जो प्रारंभ से ही तुम्हें प्राप्त है। यह पुरानी आज्ञा वह वचन है, जिसे तुम सुन चुके हो। फिर भी जो आज्ञा मैं तुम्हें लिख रहा हूँ, वह नयी है। वह नयी इसलिए है कि वह उन में चरितार्थ हुई और तुम में भी चरितार्थ हो रही है; क्योंकि अंधकार हट रहा है और सत्य की ज्योति अब चमकने लगी है। जो कहता है कि मैं ज्योति में हूँ और अपने भाई से बैर करता है, वह अब तक अंधकार में है। जो अपने भाई को प्यार करता है, वही ज्योति में निवास करता है और कोई कारण नहीं कि उसे ठोकर लगे। परन्तु जो अपने भाई से बैर करता है, वह अंधकार में है और अंधकार में चलता है। वह यह नहीं जानता कि मैं कहाँ जा रहा हूँ; क्योंकि अंधकार ने उसे अंधा बना दिया है।
प्रभु की वाणी।
Responsorial Psalm
स्तोत्र ग्रन्थ 96:1-2, 2-3, 5-6
अनुवाक्य : स्वर्ग में आनन्द हो और पृथ्वी पर उल्लास।
प्रभु के आदर में नया गीत गाओ। समस्त पृथ्वी प्रभु का भजन सुनाये। भजन गाते हुए प्रभु का नाम धन्य कहो।
अनुवाक्य : स्वर्ग में आनन्द हो और पृथ्वी पर उल्लास।
दिन-प्रतिदिन उसका मुक्ति-विधान घोषित करते जाओ। सभी राष्ट्रों में उसकी महिमा का बखान करो। सभी लोगों को उसके अपूर्व कार्यों का गीत सुनाओ।
अनुवाक्य : स्वर्ग में आनन्द हो और पृथ्वी पर उल्लास।
प्रभु ने आकाश का निर्माण किया है। वह ऐश्वर्यशाली तथा महिमामय है। उसका मंदिर भव्य तथा वैभवशाली है।
अनुवाक्य : स्वर्ग में आनन्द हो और पृथ्वी पर उल्लास।
Gospel
सन्त लूकस 2:22-35
“गैरयहूदियों के प्रबोधन के लिए ज्योति।”
जब मूसा की संहिता के अनुसार शुद्धाकरण का दिन आया, तब वे बालक को प्रभु को अर्पित करने के लिए येरुसालेम ले गये; जैसा कि प्रभु की संहिता में लिखा है : हर पहलौठा बेटा प्रभु को अर्पित किया जाये और इसलिए भी कि वे प्रभु की संहिता के अनुसार पंडुकों का एक जोड़ा या कपोत के दो बच्चे बलिदान में चढ़ायें। उस समय येरुसालेम में सिमेयोन नामक एक धर्मी तथा भक्त पुरुष रहता था। वह इस्राएल की सांत्वना की प्रतीक्षा में था और पवित्र आत्मा उस पर छाया रहता था। उसे पवित्र आत्मा से यह सूचना मिली थी कि वह प्रभु के मसीह को देखे बिना नहीं मरेगा। वह पवित्र आत्मा की प्रेरणा से मंदिर आया। माता-पिता शिशु येसु के लिए संहिता की रीतियाँ पूरी करने जब उसे भीतर लाये, तो सिमेयोन ने येसु को अपनी गोद में ले लिया और ईश्वर की स्तुति करते हुए कहा, “हे प्रभु, अब तू अपने वचन के अनुसार अपने दास को शांति के साथ विदा कर; क्योंकि मेरी आँखों ने उस मुक्ति को देखा है, जिसे तूने सब राष्ट्रों के लिए प्रस्तुत किया है। यह ग़ैर-यहूदियों के प्रबोधन के लिए ज्योति है और तेरी प्रजा इस्लाएल का गौरव।”' बालक के विषय में ये बातें सुन कर उसके माता-पिता अचम्भे में पड़ गये। सिमेयोन ने उन्हें आशीर्वाद दिया और उसकी माता मरियम से यह कहा, “देखिए, इस बालक के कारण इख्राएल में बहुतों का पतन और उत्थान होगा। यह एक चिह्न है जिसका विरोध किया जायेगा, जिससे बहुत-से हदयों के विचार प्रकट हो जायें और एक तलवार आपके हृदय को आर-पार बेधेगीं।”
प्रभु का सुसमाचार।